Shiv Mantra: शिव मंत्र अमरत्व और मोक्ष दोनों निहित
Shiv Mantra: भगवान शिव, शिव मंत्र के देवता हैं। शिव मंत्र द्वारा शिव तत्व का आह्वान किया जाता है। एकाक्षर मंत्र ‘ऊं’ भगवान शिव का स्वरूप है। वहीं षड़ाक्षर मंत्र ‘ऊं नम: शिवाय’ ही शिव तत्व है।
शिव पुराण संहिता में कहा है कि सर्वज्ञ शिव ने संपूर्ण देहधारियों के सारे मनोरथों की सिद्धि के लिए इस ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का प्रतिपादन किया है। यह षड़क्षर मंत्र संपूर्ण विद्याओं का बीज मंत्र है।
यह अत्यंत सूक्ष्म होने पर भी यह मंत्र महान अर्थ से परिपूर्ण है। इसमें छह अंगों सहित संपूर्ण वेद व शास्त्र विद्यमान है। मनोरथ सिद्धि के लिए शिव मंत्र का प्रतिपादन किया गया है शिव मंत्रों में किसी भी इच्छा को पूरा करने की शक्ति है।
शिव मंत्र का नियमित जप जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि प्रदान करता है। शिव मंत्र ‘ रक्षा कवच मंत्र ‘ भी कहा जाता है क्योंकि यह हमारी संकट ,आशंका और शत्रुओं से रक्षा करता है।
शिव मंत्र में ही अमरत्व और मोक्ष की दोनों ही शक्तियां निहित हैं। भगवान शिव महामृत्युंजय मंत्र के देवता हैं। महामृत्युंजय मंत्र को ‘त्रयंबकम मंत्र’ भी कहा जाता है।
शिव मृत्युंजय हैं – मृत्यु के विजेता। महामृत्युंजय मंत्र के जप से संकट व अकाल मृत्यु का हरण करते हैं। महामृत्युंजय मंत्र द्वारा नकारात्मक शक्तियों से ग्रसित शरीर , मन और आत्मा की शुद्धि होती हैं। शिव मंत्र जप एक ज्योतिषीय उपाय भी है जो जन्म कुंडली में स्थित मारक ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शनि को शांत करने के लिए उपाय के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। अपितु जन्म कुंडली में मारक ग्रहों के कठोर प्रभावों को दूर करने में भी सहायता करता है।
महामृत्युंजय मंत्र सभी स्वास्थ्य समस्याओं और असाध्य रोगों को दूर करने के लिए एक बहुत शक्तिशाली मंत्र है। महामृत्युंजय मंत्र का नियमित रूप से पाठ शारीरिक स्वास्थ्य और शक्ति को बढ़ाने में और मन को शांत करने में उपयोगी है।
महामृत्युंजय मंत्र में शरीर में अवरुद्ध ऊर्जा बिंदुओं को खोलने की शक्ति है। यह न केवल शारीरिक रोगों को ठीक करता है, महामृत्युंजय मंत्र दुर्घटनाओं और हमारे आसपास के नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए एक सुरक्षा कवच बन जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का नियमित रूप से पाठ करने से हमारे भीतर सुप्त शक्तियों को जागृत करने में सहयता मिलती है।
चतुर्दशी पर शिव मंत्र का जप बहुत ही प्रभावी और शुभ माना जाता है। आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न करने के अत्यंत सरल और अचूक मंत्र है। इन मंत्रों का प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
मंत्र जप शिवजी को बेल पत्र अर्पित करना चाहिए। मंत्र का एक लाख(100000) जप करना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।
Shiv Mantra – शिव मंत्र (पंचाक्षरी)
यह शिव मंत्र मोक्ष की प्राप्ति और मृत्यु के भय को नष्ट करने के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यह शिव मंत्र रोग, दुःख, भय आदि के उन्मूलन के लिए प्रभावी माना जाता है।
इस मंत्र का पाठ करने से सफलता मिलती है और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
॥ॐ नमः शिवाय ॥
शिव गायत्री मंत्र
॥ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
शिव ध्यान मंत्र
॥करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
रुद्र मंत्र
भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए रुद्र मंत्र का पाठ किया जाता है। यह किसी की इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रभावी माना जाता है।
॥ॐ नमो भगवते रूद्राय ॥
आत्मोन्नति रूद्र गायत्री मंत्र
॥ॐ तत्पुरुषाय विद्महे ,महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ।।
त्वरित रूद्र मंत्र
।।ॐ यो रुद्रोsन्गौ योsप्सुय ओषधीषु यो रुद्रो विश्वाभुवना-विवेश तस्मै रुद्राय नमोsस्तु।।
रूद्र मंत्र
॥ॐ अघोरेभ्योsथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्य:। सर्वेभ्य: सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रूद्र रुपेभ्य:।। ॐ नमो भगवते रुद्राय ।।
एकाक्षर मृत्युंजय मंत्र
।।ह्रौं ।।
त्रयाक्षर मृत्युंजय मंत्र
।।ॐ जूं सः।।
चतुराक्षर मृत्युंजय मंत्र
।।ॐ ह्रौं जूं सः ।।
नवाक्षर मृत्युंजय मंत्र
।।ॐ जूं सः “पालय-पालय” ।।
दशाक्षरी मंत्र
।।ॐ जूं सः मां पालय-पालय ।।
द्वादशाक्षरी मंत्र
।। ॐ जूं सः मां पालय-पालय सः जूं ॐ ।।
मृत्युंजय मंत्र ( Shiv Mantra )
रोग और मृत्यु भय के उन्मूलन के लिए मृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए। आयु बढ़ाने के लिए मृत्युंजय मंत्र की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
॥ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्, उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र है, रोग और मृत्यु भय को मिटाने के लिए, लंबी उम्र (लंबी आयु) बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावी है।
।।ॐ ह्रौं जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् भूर्भुवः स्वरों जूं सः ह्रौं ॐ ।।
।।ॐ ह्रौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् भूर्भुवः स्वरों जूं सः ह्रौं ॐ ।।
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