Navgrah Mantra : नवग्रह मंत्र द्वारा सुख और सफलता की प्राप्ति
Navgrah Mantra : हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 12 राशियां होती है। इन सभी राशियों के स्वामी ग्रह भी होते हैं। ऐसा माना जाता है कि हमारा जीवन नौ (9) ग्रहों के आधार पर चलता है ।
सभी ग्रह हमारी राशि के अनुसार फल प्रदान करते हैं। कुंडली में स्थित नौ-ग्रहों (नवग्रह) के शुभ और अशुभ प्रभाव से ही व्यक्ति के सुख – दुख और सफलता – असफलता की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति नियमित रूप से अपने राशी मंत्र का जप करता है, उस व्यक्ति को शीघ्र सफलता मिलती है। मंत्र पाठ से व्यक्ति हर प्रकार के संकट से मुक्त रहता है। आर्थिक रूप से संपन्न करने में सहायता करता है। राशी मंत्र जप से जन्म कुंडली में मारक ग्रहों के कठोर प्रभावों को दूर करने में भी सहायता करता है।
कुल बारह चंद्र राशि होते हैं और प्रत्येक चंद्र राशि एक अलग स्वामी द्वारा शासित होता है। प्रत्येक राशि स्वामी एक अलग मंत्र के साथ सम्बंधित है।
सामान्यतः राशी मंत्रों का 11 या 108 या 1008 बार जप करना होता है।
राशि बीज मंत्र:
मेष राशि बीज मंत्र
॥ॐ ऎं क्लीं सौः ॥
वृषभ राशि बीज मंत्र
॥ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं ॥
मिथुन राशि बीज मंत्र
॥ॐ श्रीं ऎं सौः ॥
कर्क राशि बीज मंत्र
॥ॐ ऎं क्लीं श्रीं ॥
सिंह राशि बीज मंत्र
॥ॐ ह्रीं श्रीं सौः ॥
कन्या राशि बीज मंत्र
॥ॐ श्रीं ऎं सौः ॥
तुला राशि बीज मंत्र
॥ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं ॥
वृश्चिक राशि बीज मंत्र
॥ॐ ऎं क्लीं सौः ॥
धनु राशि बीज मंत्र
॥ॐ ह्रीं क्लीं सौः ॥
मकर राशि बीज मंत्र
॥ॐ ऎं क्लीं ह्रीं श्रीं सौः॥
कुम्भ राशि बीज मंत्र
॥ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्रीं ॥
मीन राशि बीज मंत्र
॥ॐ ह्रीं क्लीं सौः ॥
राशि मंत्र:
मेष राशि मंत्र
॥ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः ।।
वृषभ राशि मंत्र
॥ॐ गोपालाय उत्तरध्वजाय नमः ।।
मिथुन राशि मंत्र
॥ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ।।
कर्क राशि मंत्र
॥ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरुपिणे नमः ।।
सिंह राशि मंत्र
॥ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नमः ।।
कन्या राशि मंत्र
॥ॐ नमः पीं पीताम्बराय नमः ।।
तुला राशि मंत्र
॥ॐ तत्वनिरञ्जनाय नमः ।।
वृश्चिक राशि मंत्र
॥ॐ नारायणाय सुरसिंघाय नमः ।।
धनु राशि मंत्र
॥ॐ श्रीं देवकृष्णाय उर्ध्वदन्ताय नमः ।।
मकर राशि मंत्र
॥ॐ श्रीं वत्सलाय नमः ।।
कुम्भ राशि मंत्र
॥ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्युताय नमः ।।
मीन राशि मंत्र
॥ॐ आं क्लीं उध्दृताय नमः ।।
नवग्रह मंत्र :
नवग्रह मंत्रों के जप से उनके सकारात्मक प्रभाव में वृद्धि होती है और उनके हानिकारक परिणाम कम होते हैं।
सूर्य मंत्र
॥ॐ ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः ॥
चंद्र मंत्र
॥ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ॥
मंगल मंत्र
॥ॐ हूं श्रीं भौमाय नमः ॥
बुध मंत्र
॥ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः ।।
बृहस्पति मंत्र
॥ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः ।।
शुक्र मंत्र
॥ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम: ॥
शनि मंत्र
॥ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः॥
राहु मंत्र
॥ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः॥
केतु मंत्र
॥ॐ ह्रीं ऐं केतवे नमः॥
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