Narak Chaturdashi: नरक चतुर्दशी -रूप-चौदस
Narak Chaturdashi: नरक चतुर्दशी (काली चौदस, रूप चौदस, छोटी दीवाली) के रूप में भी जाना जाता है ।
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी ‘नरक चतुर्दशी’ कहलाती है। इस दिन आयु के देवता यमराज की उपासना की जाती है।
इस दिन भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था।
नरक चतुर्दशी ( Narak Chaturdashi) (दीपावली के एक दिन का पहले) का दिन सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का होता है
यमलोकदर्शनाभवकामोअहमभ्यंक स्नानं करिष्ये।
जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व प्रत्यूष काल (प्रातःकाल) में शरीर पर उबटन का लेपन (अपामार्ग का भी प्रोक्षण) करना चाहिये। उपरांत शरीर पर तिल का तेल लगाकर अभ्यंग स्नान करने से मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता।
जो व्यक्ति इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके शुभ कार्यों का नाश हो जाता है।
स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र पहन कर, तिलक लगा कर दक्षिणा-मुख हो निम्न नाम मन्त्रों से प्रत्येक नाम से जलाञ्जलि देनी चाहिये।
यह यम-तर्पण कहला है। इससे वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
‘ॐ यमाय नमः’, ‘ॐ धर्मराजाय नमः’, ‘ॐ मन नमः’, ‘ॐ अन्तकाय नमः’, ‘ॐ वैवस्वताय नमः’, ‘. कालाय नमः’, ‘ॐ सर्वभूतक्षयाय नमः’, ‘ॐ औदुम्बराय नमः’, ‘ॐ दनाय नमः’, ‘ॐ नीलाय नमः’, ‘ॐ परमेटिने नमः’, ‘ॐ वृकोदराय नमः’, ‘ॐ चित्राय नमः’, ‘ॐ चित्रगुप्ताय नमः।
इस दिन देवताओं का पूजन करके दीपदान करना चाहिये। मन्दिरों, गुप्तगृहों, रसोईघर, स्नानघर, देववृक्षों के नीचे, सभा-भवन, नदियों के किनारे, बगीचे, बावली, गली-कूचे, गोशाला आदि प्रत्येक स्थानपर दीपक जलाना चाहिये।
Narak Chaturdashi कथा
वामनावतार में भगवान् श्री विष्णु ने सम्पूर्ण पृथ्वी नाप ली।
बलि के दान और भक्ति से प्रसन्न होकर वामन भगवान्ने उन से वर माँग ने को कहा।
उस समय बलि ने प्रार्थना की कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशीसहित इन तीन दिनों में मेरे राज्य का जो भी व्यक्ति यमराज के उद्देश्य से दीप प्रज्ज्वलित या दीपदान करे, उसे यम-यातना न हो और इन तीन दिनों में दीपावली मनाने वाले का घर लक्ष्मी जी कभी न छोड़ें।
नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली महापर्व को मनाया जाता है ।
सभी पाठकों को दिवाली की शुभकामनाएं|
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