Mahalaxmi Mantra: लक्ष्मी मंत्र से धन-सम्पदा , समृद्धि और सौंदर्य वृद्धि होती है।
Mahalaxmi Mantra: लक्ष्मी मंत्र की देवी माता लक्ष्मी है। वह धन, सम्पदा, शान्ति, समृद्धि और सौंदर्य की देवी मानी जाती हैं।
लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति ‘ लक्ष ‘ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है लक्ष्य या उद्देश्य प्राप्त करना। दैनिक जीवन में धन-सम्पदा , समृद्धि जैसे उद्देश्य की पूर्ति के लिए लक्ष्मी मंत्र का जप किया जाता है ।
लक्ष्मी मंत्र के नियमित जप से तीव्र स्पंदन ऊर्जा उत्पादित होती है जो एक ऊर्जा क्षेत्र का निर्माण करके भाग्य को आकर्षित करती है। लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धन की कमी के कारण उत्पन्न सभी दुखों को दूर करती है और धन ,सौभाग्य, समृद्धि और सौंदर्य वृद्धि करती है।
उनकी उपासना अलग-अलग नामों से की जाती है: पद्मा , कमला , कल्याणी , विष्णुप्रिया , वैष्णवी इत्यादि। देवी लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान है कमल कोमलता का प्रतीक है। लक्ष्मी के एक मुख, चार हाथ हैं। वे एक लक्ष्य और चार प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं।
दो हाथों में कमल- सौंदर्य और प्रामाणिकता के प्रतीक है। दान मुद्रा से धन की वर्षा , समृद्धि और प्रचुरता तथा आशीर्वाद मुद्रा से अभय अनुग्रह का प्रतिक है। वाहन-उलूक, निर्भीकता एवं रात्रि में अँधेरे में भी देखने की क्षमता का प्रतीक है। लक्ष्मी का जल-अभिषेक करने वाले दो गजराजों को परिश्रम और मनोयोग कहते हैं।
लक्ष्मी मंत्र के लाभ
लक्ष्मी मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति को धन-सम्पदा , समृद्धि , सौंदर्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी मंत्र के नियमित जप से नौकरी में पदोंनति पाने के लिए, व्यवसाय में लाभ को बढ़ाने के लिए और व्यापार में नए ग्राहकों को आकर्षित करने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
नियमित जाप से लक्ष्मी मां प्रसन्न होकर घर में आगमन करती हैं और दरिद्रता दूर करती हैं।
लक्ष्मी मंत्र का जप विधि
शुक्रवार के दिन माता महालक्ष्मी की साधना तमाम वैभव और यश देने वाली मानी गई है। शुक्रवार के दिन शाम को देवी लक्ष्मी की उपासना के पहले स्नान कर यथासंभव लाल वस्त्र पहन लक्ष्मी मंदिर या घर में माता के चरणों में लाल चंदन, अक्षत, गुलाब या कमल के फूलों की माला चढ़ाकर, लाल आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी का ध्यान कर कमलगट्टा माला या स्फटिक माला से लक्ष्मी मंत्र का १,२५००० बार जप करें।
लक्ष्मी बीज मंत्र
।।ॐ श्रीं श्रियें नमः ।।
।।ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
ज्येष्ठ लक्ष्मी मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ज्येष्ठ लक्ष्मी स्वयम्भुवे ह्रीं ज्येष्ठायै नमः ।।
महालक्ष्मी यक्षिणीविद्या मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीन महालक्ष्म्यै नमः ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी मंत्र का जप करते हैं ।
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र के जप से समृद्धि और सफलता मिलती है।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
इस लक्ष्मी मंत्र को ७२ दिनों के भीतर १.२५ लाख बार जप किया जाता है।
और इस के बाद हवन करते हैं. लक्ष्मी का षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
इस लक्ष्मी मंत्र का जप प्रतिदिन अपने कार्यालय जाने से पहले करें ।
ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
श्री लक्ष्मी नृसिंह मंत्र
।। ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।।
।। ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।
एकादशाक्षर सिध्दा लक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिध्द लक्ष्म्यै नमः
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